Sunday, May 29, 2022

 टूटा हुआ इक साज हूं मैं

खुद से ही नाराज हूं मैं 🎵

...

आंखें बंद करता हूं मैं

तुझको पलको पे पाता हूं मैं


कितना याद आती हो

कैसे तुझको बतलाऊँ मैं


कहां गुम हो गई हो

कहां तुझको खोजूँ मैं


अपने गम भुलाने को

लिखता हूं प्रेम के गीत मैं


आ भी जाओ अब की

तेरे बिना हूं कितना तन्हा मैं ।।


---- सुनिल #शांडिल्य

No comments:

Post a Comment