Monday, May 30, 2022

 कहीं फ़ीरोज़ी,कहीं-कहीं पीले

लाल,गुलाबी,काले,नीले


किस्म किस्म की तस्वीरों में

रंग भरे हैं सूखे-गीले


सबके चेहरे अलग-अलग हैं

मोह का घूँघट एक है


सब जायेंगे आगे-पीछे

हाथ पसारे,आँखें मींचे


स्वर्ग-नरक,सब झूठी बातें

ना कोई ऊपर,ना कोई नीचे


सबकी वही एक डगरिया

मौत की करवट एक है!


---- सुनिल #शांडिल्य

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