तुम भोर की पहली किरण
तुम ही सन्ध्या की गोधूली
तुम गगन में चमकता चांद
तुम ही सुबह की लाली
तुम हवा,तुम बादल,तुम ही खुश्बू
तुम से ही शिकायत,तुम से ही प्यार
तुम दिन तुम रात,तुम ही जज़्बात
तुम से ही जुड़ी मेरी हर एक बात
तुम ही सपना,तुम कल्पना,तुम यथार्थ
फिर क्या सवाल ?
---- सुनिल #शांडिल्य
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