Wednesday, June 1, 2022

 तुम भोर की पहली किरण

तुम ही सन्ध्या की गोधूली


तुम गगन में चमकता चांद

तुम ही सुबह की लाली


तुम हवा,तुम बादल,तुम ही खुश्बू

तुम से ही शिकायत,तुम से ही प्यार


तुम दिन तुम रात,तुम ही जज़्बात

तुम से ही जुड़ी मेरी हर एक बात


तुम ही सपना,तुम कल्पना,तुम यथार्थ

फिर क्या सवाल ?


---- सुनिल #शांडिल्य

No comments:

Post a Comment