कलम आज मुझसे सवाल करती है
कमबख्त मेरे दिल का हाल लिखती है
कहता हूं इसे तू सिर्फ इश्क लिखा कर
पर ये हंसी के पीछे का दर्द लिखती है
कहता हूं छुपा लो एहसासों को तुम
पर रात जो अश्क बहे वो लिख देती है
जर्रा जर्रा आंखों का हाल लिखती है
मेरे रोते दिल का अफसाना लिखती है
---- सुनिल #शांडिल्य
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