Friday, June 17, 2022

 शाम इश्कियाना है ..


ढल रहा सूरज

तेरी यादों का पता ढूंढती है

ठंडी पुरवाई तेरा पता पूछती है

कानों में हवाएं गुनगुनाती है

ये फिजाएं बातें तेरी करती है

तन बदन महक उठा है

हंसता रहता हूं

इश्क का रंग चढ़ने लगा है

दीवाना कर दी हो मुझे

ऐसा पहली बार हुआ है


शाम इश्कियाना है ..


---- सुनिल #शांडिल्य

No comments:

Post a Comment