बातो बातो में जो ढली होगी
वो रात कितनी मनचली होगी
मेरे सिरहाने रखी याद तेरी
रात भर शमा भी जली होगी
सबने तारीफ तेरी की होगी
मै चुप रहा तो मेरी कमी होगी
तेरी आंखो मे झांकने के बाद
मेरी आंखों में ओस सी होगी
है तेरा ज़िक्र तो यकीं है मुझे
मेरे बारे में भी बात हुई होगी ।
---- सुनिल #शांडिल्य
No comments:
Post a Comment