Monday, June 20, 2022

 प्रेम संगम है, मिलन और बिरह का 

कभी मन फूल,कभी पतझड़ बन जाते है

खिलती है होंठों पे मृदु मुस्कान कभी 

आंखों में कभी सजल बिंदु भर जाते है।


----सुनिल #शांडिल्य

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