कभी मैं घुल जाता हूं
आंसुओं के जाम में
कभी मैं जी जाता हूं
अश्कों के दीदार में
कभी मैं डूब जाता हूं
तेरी यादो के अंबार में
कभी मैं खो जाता हूं
तेरे लबों की पुकार में
कभी मैं मर जाता हूं
तेरे इश्क की बौछार में
कभी मैं लिख लेता हूं
तेरी धड़कनों की आवाज़ में
---- सुनिल #शांडिल्य
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