Monday, June 27, 2022

 जीवन है तब तक

सांसें चलती है जब तक


क्या सांसों का चलना

ही जीवन है कहलाता


हां,तकता हूं मैं राह मौत की

ये जीवन अब मुझे डराता


तेरे इल्जामों का बोझ अब

मुझसे सहा नहीं जाता


तन्हाई में तकता हूं दीवारे

काली रातें मुझको निगलती


तू क्या जाने तेरे बिन मैं

घुट घुट मरता हूं रोज


---- सुनिल #शांडिल्य

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