ये शराब भी है क्या शराब कोई
तेरी आँखों में बसता मयखाना कोई
तेरी निगाहे पैमाने में न रखती नशा
तेरे चेहरे पर नूर जैसे महताब कोई
समुंदर यूँ ही बदनाम अपने तेवरों से
तेरी निगाहों में उफ़नता सैलाब कोई
जो भी डूबा उसे होश न अरसे तक आया
तुझसे नजरे चुराकर करे मुलाकात कोई
---- सुनिल #शांडिल्य
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