मुश्किल थी हिज़्र की वो रात
हम कह ना पाए दिल की बात
काश वो वक़्त ही ना आया होता
वो मुद्दा मसला सुलझाया होता
काश मैं यकीन करता तुम पर
या तुमने यकीन दिलाया होता
एक उम्र साथ गुजारने की चाह थी
काश रिश्ता बे वक़्त ना मुरझाया होता
---- सुनिल #शांडिल्य
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