Wednesday, June 29, 2022

 मुश्किल थी हिज़्र की वो रात

हम कह ना पाए दिल की बात


काश वो वक़्त ही ना आया होता

वो मुद्दा मसला सुलझाया होता


काश मैं यकीन करता तुम पर

या तुमने यकीन दिलाया होता


एक उम्र साथ गुजारने की चाह थी

काश रिश्ता बे वक़्त ना मुरझाया होता


---- सुनिल #शांडिल्य

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