Thursday, June 30, 2022

 पन्नों पर

लिखकर पूरा ना हो

इक अधूरा

किताब हूँ मैं


मुकम्मल नही

अधूरा ख्वाब हूं मैं


कभी चरागों की

जरूरत नहीं रखता

वो रात का स्याह

अंधेरा हूं मैं


ऊंचाइयों को डुबो दूँ

वो सैलाब हूँ मैं

तन्हा राहों का

तन्हा मुसाफिर हूं मैं


दिल से

बेनकाब हूँ

इसलिए शायद

बहुत बुरा हूं मैं


---- सुनिल #शांडिल्य

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