तेरी ये पलकें भार लिए
लज्जा से,झुकती जाती हैं
नयनों की कोरों की झीलें
चाहत की नाव डुबाती हैं
कुछकुछ खुद से रूठीरूठी
कुछ कुछ उससे मनुहार करें
सारी दुनिया पर जुल्म करें
अपनी दुनिया से प्यार करें
जब भी देखूँ तो यही लगे
तेरी आंखें कुछ कहती हैं !
---- सुनिल #शांडिल्य
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