Monday, June 6, 2022

 तेरे हुस्न पर आज मैं

इक कविता लिखता हूँ


पर्वत से गिरती नदिया सी

तेरा यौवन मैं लिखता हूँ


तेरे दो नयनन को मैं

सूरज चँदा लिखता हूं


तेरे दो होंठो को मैं

कमल दल लिखता हूं


तेरी खनकती आवाज को मैं

जीवन का संगीत लिखता हूं


हृदय से निकले इस गीत में

तुझको मैं मृगनयनी लिखता हूं


---- सुनिल #शांडिल्य

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