तेरे हुस्न पर आज मैं
इक कविता लिखता हूँ
पर्वत से गिरती नदिया सी
तेरा यौवन मैं लिखता हूँ
तेरे दो नयनन को मैं
सूरज चँदा लिखता हूं
तेरे दो होंठो को मैं
कमल दल लिखता हूं
तेरी खनकती आवाज को मैं
जीवन का संगीत लिखता हूं
हृदय से निकले इस गीत में
तुझको मैं मृगनयनी लिखता हूं
---- सुनिल #शांडिल्य
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