Sunday, July 17, 2022

 अहले सुबह ..

अलसाई सी आंखों से

तेरी यादों की पुरवाई टकरा गई !


खोने लगा मैं तुममें ..ख्यालों में 

रात जो तेरे संग ख्वाब में कटी थी 


तकिया अब भी गिला था

सहलाया यूं जैसे तुम हो ..

महसूस किया आंखें बंद कर तुम्हें !


दो बूंद ढलक गए गालों पर 

और सुबह हो गई !


और तुम ?

खो गई ..!


---- सुनिल #शांडिल्य

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