Monday, July 18, 2022

 जीता रहा अपनी धुन मे

दुनिया का कायदा नहीं

देखा.

रिश्ता निभाया हृदय से

कभी फायदा नहीं देखा !


एक किताब की तरह हूं ,

कितनी भी पुरानी हो जाये ,

उसके अल्फाज नहीं

बदलेंगे.


कभी याद आये तो, पन्नों

को पलट लेना.

मैं आज जैसा हूं 

ग़र रहा जिंदा

तो ऐसा कल भी रहूँगा ! ~


---- सुनिल #शांडिल्य

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