जीता रहा अपनी धुन मे
दुनिया का कायदा नहीं
देखा.
रिश्ता निभाया हृदय से
कभी फायदा नहीं देखा !
एक किताब की तरह हूं ,
कितनी भी पुरानी हो जाये ,
उसके अल्फाज नहीं
बदलेंगे.
कभी याद आये तो, पन्नों
को पलट लेना.
मैं आज जैसा हूं
ग़र रहा जिंदा
तो ऐसा कल भी रहूँगा ! ~
---- सुनिल #शांडिल्य
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