Saturday, July 2, 2022

 ख्वाबों ख्यालों में तुम आ रही हो

राफ्ता राफ्ता दिल में समा रही हो,


दीदार कर तेरा ,मुझे सुकून आता है

इस कदर तुम,मुझसे मुझे चुरा रही हो,


चांद भी आज मद्धम पड़ गया है

तुम घुंघट से जो झांक रही हो,


तेरी सांसों से महकने लगा हूं मैं अब

तुम मेरे आगोश में जो बिखर रही हो ।।


---- सुनिल #शांडिल्य

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