Thursday, July 21, 2022

 भाल पर चन्द्र बिन्दु केशराशि मोती युक्त

रखड़ी में गोरी तेरे हीरों की जड़ाई है


पुष्प से गुलाबी ओष्ठ नथ रस चूस रही

कजरारे_नयनो मे खुमारी सी छाई है


कर्णफूल गाल चूमे माल कंचुकी के मध्य

रेशमकी ओढ़नी पे तारोंकी छपाई है


करघनी कमर की इठलाती बारबार

तेरी तरुणाई देख रति भी लजाई है


---- सुनिल #शांडिल्य

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