भाल पर चन्द्र बिन्दु केशराशि मोती युक्त
रखड़ी में गोरी तेरे हीरों की जड़ाई है
पुष्प से गुलाबी ओष्ठ नथ रस चूस रही
कजरारे_नयनो मे खुमारी सी छाई है
कर्णफूल गाल चूमे माल कंचुकी के मध्य
रेशमकी ओढ़नी पे तारोंकी छपाई है
करघनी कमर की इठलाती बारबार
तेरी तरुणाई देख रति भी लजाई है
---- सुनिल #शांडिल्य
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