उस नौका का मूल्य क्या ? जिसमें होती पतबार नहीं !
साथी बिना सखे जीवन का होता है आधार नहीं!!
देखो पेड़का सहारा पाकर बेल शिखर चढ़ जाती है
अमर बेल जो बिना मूल की बह भी जीवन पाती है
सूना सूना जीवन लगता मन की बात न कह पाते
जो निकटस्थ हुआ करते थे वह भी दूरी पर जाते !!
---- सुनिल #शांडिल्य
No comments:
Post a Comment