चाँद तारों की बरात लेकर
आज अम्बर धरा पर है आया
यूं चमकती हुई चाँदनी में
जैसे सारा जहां है नहाया
सज रही है दुल्हन जाने चंचलसा मन
प्रीतकी रात है होगा प्रियसे मिलन
माथे बिंदिया सजी पांव पायल बजी
सरपे लाली चुनर सुर्ख होते अधर
देखकर रूप दर्पण लजाया
आज अम्बर धरा पर है आया
---- सुनिल #शांडिल्य
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