Sunday, July 24, 2022

 ऐ मेरी  कलम  धीरे_धीरे चल

करती चल बाला का श्रृंगार


देख खिल जाए  मुरझे  चेहरे

जो  निराशा  में  अभी  पड़े।


ऐ मेरी कलम मधुर-मधुर गा

गीत  रस भरे  सुनाती  जा


खिल जाए सखी मुख आभा

निहार सौंदर्य मुग्ध हो दिवाना।


---- सुनिल #शांडिल्य

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