अनछुयी बाला की मधुर
मुस्कान है मेरी गजल
दुनिया के दाव पेंच से
अनजान है मेरी गजल
जहाँ न गम की घटा हो
न कहर का खौफ छाया
उस कल्पना के लोक की
पहचान है मेरी गजल
जहां न प्यासा हो आंचल
न बहे नयनो का काजल
मानवता की विजय का
जयगान है मेरी गजल
---- सुनिल #शांडिल्य
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