Saturday, July 30, 2022

 सुनो_ना


जब तुम आती हो मेरी बगिया में

पूजा के फूल लेने

तो पूरी बगिया में लेने के देने हो जाते हैं


फूल तुम्हारे यौवन के आगे,

सुंदरता में बौने हो जाते हैं


जब तुम कदम रखती हो

तुम्हारी पायल की रुनझुन के विद्युत से

मेरे हृदय के तार स्वत: ही जुड़ जाते हैं


और मेरी आंखों के जुगनू 

जगमगा उठते हैं


मगर, मैं यह जगमगाहट 

तुम तक नहीं पहुंचने देता हूं

यह अशुद्ध है


मेरे अंदर बहुत कुछ ऐसा होता है

जो मेरी इच्छा के विरुद्ध है


मुझे तुम्हारी प्राप्ति की इच्छा नहीं है

तृप्ति की आकांक्षा भी नहीं है

बस तुम यूं ही बनी रहो पाकीजगी में सनी रहो


---- सुनिल #शांडिल्य

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