बेबसी में तड़पकर रह जाता हूँ
अक्सर ख्वाब दिल में सजाता हूँ
चाहे कोई समझे ना समझे मुझे
तुम मुझे समझो ये आस लगाता हूँ
जख्म देती हो जब जब तुम मुझे
अपने जख्म खुद ही सहलाता हूँ
करती हो मुझे तोड़ने की कोशिश
टूट कर फिर भी मैं मुस्कुराता हूं
बस तुम्हारी खुशी की दुआ करता हूं ..
---- सुनिल #शांडिल्य
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