Monday, July 4, 2022

 बेबसी में तड़पकर रह जाता हूँ

अक्सर ख्वाब दिल में सजाता हूँ 


चाहे कोई समझे ना समझे मुझे

तुम मुझे समझो ये आस लगाता हूँ


जख्म देती हो जब जब तुम मुझे

अपने जख्म खुद ही सहलाता हूँ


करती हो मुझे तोड़ने की कोशिश

टूट कर फिर भी मैं मुस्कुराता हूं


बस तुम्हारी खुशी की दुआ करता हूं ..


---- सुनिल #शांडिल्य

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