कितनी नज़्में
लिखी होंगी मैने
कितनी कविताएं
लिखी होंगी मैने
कभी प्रेम में
कभी दर्द में
जो दर्शाती है
मेरे दिल का हाल
"प्रेम"
मेरे लिए एक
छलावा ही रहा
हर किसी ने खेला
मेरे जज्बात से
फ़िर भी किसी से
कोई गिला नहीं मुझे
खुद को ही कसूरवार ठहराया
कुछ तो कमी होगी मुझमे ही ..
---- सुनिल #शांडिल्य
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