Friday, August 12, 2022

 मेरी कविता गीत तुम्हारे

गली_गली भटके बंजारे


जन्म जन्म तुमको पाने को

सुनिल पूजे  साँझ सकारे


सुधियों के संदेशे भेजे

देहरी देहरी दीप जलाये


पनघट पनघट पीड़ा प्यासी

घन बैरी पर लौट ना आये


कैसी रैन विरह बिछुड़न की 

चकवा चकवी सोन्न विचारे 

मेरी कविता...


---- सुनिल #शांडिल्य

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