मेरी कविता गीत तुम्हारे
गली_गली भटके बंजारे
जन्म जन्म तुमको पाने को
सुनिल पूजे साँझ सकारे
सुधियों के संदेशे भेजे
देहरी देहरी दीप जलाये
पनघट पनघट पीड़ा प्यासी
घन बैरी पर लौट ना आये
कैसी रैन विरह बिछुड़न की
चकवा चकवी सोन्न विचारे
मेरी कविता...
---- सुनिल #शांडिल्य
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