Sunday, August 21, 2022

 सदा शीतल_हृदय में ही 

खुशी का साज बजता है,


नयन के नीर से ही मेघ 

निज संसार रचता है,


कि मोती बूँद बन झरता सलिल 

जब व्योम के घट से,


उमंगित हो धरा के तन 

हरित परिधान सजता है।


---- सुनिल #शांडिल्य

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