सदा शीतल_हृदय में ही
खुशी का साज बजता है,
नयन के नीर से ही मेघ
निज संसार रचता है,
कि मोती बूँद बन झरता सलिल
जब व्योम के घट से,
उमंगित हो धरा के तन
हरित परिधान सजता है।
---- सुनिल #शांडिल्य
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