पर्वत से फूटता
जल प्रपात
मानो कोई साक़ी
उड़ेल कर सुराही से मदिरा
छलका रही हो
झील का प्याला
ये पहाड़ी रास्ता
एक सफ़र मैख़ाने का
ये वादियाँ
धरती की सबसे बड़ी
मधुशाला
इसे देखते हुए जीना
मानो
आँखों से घूँट घूँट
सोमरस पीना
---- सुनिल #शांडिल्य
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