Sunday, August 28, 2022

 प्राण भी प्रतिकूल जाते हैं ।

एक पल कब भूल पाते हैं ।।


छवि तुम्हारी आँख में उतरी।

कल्पना पर झूल जाते हैं ।।


स्वप्न में बेसुध लिपट जाते ।

नींद में हम ऊल जाते हैं ।।


विदाई क्षण मन डराने को ।

पीर के त्रिशूल लाते हैं ।।


काग जब बोले मुंडेरों पर ।

आगमन के फूल आते हैं।।


---- सुनिल #शांडिल्य

No comments:

Post a Comment