प्राण भी प्रतिकूल जाते हैं ।
एक पल कब भूल पाते हैं ।।
छवि तुम्हारी आँख में उतरी।
कल्पना पर झूल जाते हैं ।।
स्वप्न में बेसुध लिपट जाते ।
नींद में हम ऊल जाते हैं ।।
विदाई क्षण मन डराने को ।
पीर के त्रिशूल लाते हैं ।।
काग जब बोले मुंडेरों पर ।
आगमन के फूल आते हैं।।
---- सुनिल #शांडिल्य
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