Monday, August 29, 2022

 सरस ह्रदय में व्याप्त उपवन

सुदर सघन विचारो सा  मन


भाव पावस पवित्र सा तन

नित्य दीप जले नूतन नूतन


ह्रदय में प्रेम सर्वत्र समाया

ह्रदय मे प्रवेश प्रेम से पाया


उदगार सुगंधित पुष्प से महके

उर बना स्वमेव एक देव मंदिर


स्वयं ह्रदय से निकले रसधारा

प्रेम ये कैसा अनुपम रूप तुम्हारा


---- सुनिल #शांडिल्य

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