Wednesday, August 31, 2022

 मैंने देखा बारिश की वो बूँद

शीशे पर ठहर कर

मुझे एक टक देखे जा रहीं थी

मैंने पूछा ऐसे क्या देख रही हो

वो धीरे से बोली बाहर तो आओ


मैंने जैसे टेरेस का दरबाजा खोला

मिली ठड़ी ताज़ी हवा की ताजगी

हल्की बारिश मे भीग मैं मुसकुराया

बारिश की वो बूँद भी मुस्कुरा रही थी


अब मैं उसका संदेश समझ पाया

प्रकृति के साथ ही जीवन सार्थक है

मुझे जीवन का यह संदेश दे 

बारिश की वो बूँद 

अपने गन्तव्य को चली गई 


---- सुनिल #शांडिल्य

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