Thursday, September 1, 2022

 मादकता के पाशमें मौसम हवा दिगंन्त

बौराये सब बाग बट हुये सिरफिरे सन्त


वैवाहिक पंड़ाल सी साजी धरा बहुरंग

पुष्प नाचते गा रहे सोहर बन्ना भृंग


आलिंगन मे बद्ध हो विटप लता मदहोश

ऊपर से बेशर्म से झोंके भरते जोश


गुनगुन दोपहरें हुयीं रातें हुयी मदंग

सहरें गुलदस्ता हुयीं चारो पहर उमंग


---- सुनिल #शांडिल्य

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