नदी की निरंतर यात्रा में
किनारे का महत्व
बस इतना है
हर आने वाली नई लहरों को
चूम कर ये कहना
अभी तो दूर है मंज़िल
बढ़ जाओ बस आगे यूँ ही
सागर के आगोश में
समाने के लिए
जो प्रतीक्षारत है सदियों से
जो आतुर है बेकल है बेचैन है
प्यार की अथाह गहराई के साथ
अपनी नदी से मिलन के लिए
---- सुनिल #शांडिल्य
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