Saturday, August 6, 2022

 नदी की निरंतर यात्रा में 

किनारे का महत्व

बस इतना है


हर आने वाली नई लहरों को

चूम कर ये कहना

अभी तो दूर है मंज़िल


बढ़ जाओ बस आगे यूँ ही

सागर के आगोश में

समाने के लिए


जो प्रतीक्षारत है सदियों से

जो आतुर है बेकल है बेचैन है


प्यार की अथाह गहराई के साथ

अपनी नदी से मिलन के लिए


---- सुनिल #शांडिल्य

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