Wednesday, September 14, 2022

 धुआं धुआं सा मौसम मेरा धुंध कही पे छाई है 

तुम बिन मेरा जीवन क्या है एक अदद तन्हाई है 


दिल में पतझड़ का है मौसम ग़म ने झड़ी लगाई है

तुम बिन मेरा जीवन क्या है एक अदद तन्हाई है


दिन में बसते ख्वाब तेरे रातो ने आग लगाई है

जाने कैसे तूने दिल में अपनी जगह बनाई है


बीत गए हैं मौसम कितने फिर भी तू ना आई है

तुम बिन मेरा जीवन क्या है एक अदद तन्हाई है।।।


बरसो बीते चलते चलते राह अकेले पायी है 

राहों में है धुल जमी कैसी विरानी छाई है 


तुम बिन मेरा जीवन क्या है एक अदद तन्हाई है।।


---- सुनिल #शांडिल्य

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