बिखरती जुल्फ की परछाईया मुझे दे दो,,
तुम अपनी शाम की तन्हाईया मुझे दे दो,,
खुमार-ए-हुस्न की अंगड़ाइयां मुझे दे दो,,
मैं तुमको याद करुं और तुम चली आओ,,
मोहब्बत की ये सच्चाइयां मुझे दे दो,,,
मैं डूब जाऊं तुम्हारी उदास आँखों मे,,
तुम अपने दर्द की गहराईयां मुझे दे दो....
---- सुनिल #शांडिल्य
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