तेरा स्पर्श अभी भी रखा है
तुम मिलो तो छूकर बताऊँ तो
यह फूल और भी ख़िलते हैं
तेरी ख़ुश्बू अग़र छुपाऊँ तो
आते हैं तेरे ख़यालों के भंवरे
तेरी यादों को मेहकाऊं तो
रस में बस के सब तर हैं
मैं नीरस क़भी हो जाऊँ तो
तुम आना ले जाना अपना यह स्वास प्रिये
तेरा यह एहसास अग़र ना दे पाऊँ तो
---- सुनिल #शांडिल्य
@everyone
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