ख्वाब सजाये नयन मे, झूले पे इतराय
गोरी को निज पिया की,यादें रही सताय
ऊँपर-नी़चे पैंग का अंग-अंग थिरकाय
मानो रति को काम हित,रितु ये रही सजाय
करि सोलह सिंगार,सखी संग गोरी आई
अल्हडता हर अंग,उमंगित ली अगडाई
गावै गीत मल्हार ख्वाब के पंख लगाके
झूले पर इठलाय,मौज मस्ती सी छाई
---- सुनिल #शांडिल्य
@everyone
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