Thursday, September 29, 2022

 खामोशी के समुंदर में छिपे दिल के अल्फाज होते है

कभी कभी हम किनारे के इतने पास होते हैं


तभी लहरों से फिर टकरा जाती है कश्ती

फिर हौसलों की ले के पतवार साथ होते हैं


यूं तो अपनी अपनी कश्ती के मुसाफिर हैं सब

पर बिखरते हैं जब दिल के जज्बात

तो आंसुओं के बादल एक साथ होते हैं


---- सुनिल #शांडिल्य

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