Sunday, September 4, 2022

 चाँद का ख़्वाब उजालों की नज़र लगता है!

तू जिधर हो के गुज़र जाए ख़बर लगता है!!


उस की यादों ने उगा रक्खे हैं सूरज इतने!

शाम का वक़्त भी आए तो सहर लगता है!!


एक मंज़र पे ठहरने नहीं देती ये फ़ितरत!

उम्र भर आँख की क़िस्मत में सफ़र लगता है!!


---- सुनिल #शांडिल्य

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