सिगरेट से हुई है जिंदगी,
धुँआधुँआ हो रही जल कर
हसरते अरमान हो रहे पानी,
पल पल पिघल पिघल कर
होठो से लगा हर एक कश पर,
धीरे_धीरे ये खत्म हो रही है
अधूरे तो कुछ अनकहे,
मर रहे अहसास मचल_मचल कर
इस जिंदगी की राह पर,
एक न एक दिन है लड़खड़ाना
शरीर एकदिन गिरना है,
चल जितना सम्भल सम्भल कर
---- सुनिल #शांडिल्य
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