फूल खिलेगा उपवन मे तो ,
वह चमन_महक ही जाएगा ।
पीकर के मकरंद पुष्प का,
फिर भौरा होश गंवाएगा ।
उसे खुद की खबर कहां होगी,
जो प्रीति हृदय मे जगाएगा।
अपनी चाहत की रूह मे फिर ,
वो पल पल घुलता जाएगा ।
हो दूर देश तो क्या गम तब ,
जब ख्वाब से ही मुस्काएगा।
---- सुनिल #शांडिल्य
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