Saturday, October 22, 2022

 तुम बिन कितना सूना यह जग

तुम बिन सावन प्यासा


तुम बिन अर्थहीन यह जीवन

और जीवन की परिभाषा


तुम बिन पतझड़-सा वसंत है

तुम बिन सूखी हरियाली


तुम बिन इक क्षण युग लगता है

तुम बिन दुनिया खाली-खाली


तुम बिन रंगविहीन फूल है

तुम बिन फीकी फुलवारी


कोयल की धुन कर्कश लगती

भ्रमर की गुंजाहट सारी


---- सुनिल #शांडिल्य

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