तुम बिन कितना सूना यह जग
तुम बिन सावन प्यासा
तुम बिन अर्थहीन यह जीवन
और जीवन की परिभाषा
तुम बिन पतझड़-सा वसंत है
तुम बिन सूखी हरियाली
तुम बिन इक क्षण युग लगता है
तुम बिन दुनिया खाली-खाली
तुम बिन रंगविहीन फूल है
तुम बिन फीकी फुलवारी
कोयल की धुन कर्कश लगती
भ्रमर की गुंजाहट सारी
---- सुनिल #शांडिल्य
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