Thursday, October 27, 2022

 अपने मन को भा गया, कोयल का मधु गीत

घन गरजे आकाश मे, जगी ह्र्दय में प्रीत


बुलबुल का तन लूटने, घात लगाते बाज

गौरैया सहमी रही, मैना ढकती लाज


मेघों की आवाज  पे, नाच रहा मन मोर

सुन के आई चातकी, इस चातक का शोर


---- सुनिल #शांडिल्य

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