Wednesday, October 5, 2022

 नही मिलना कभी मुमकिन

मगर तुम साथ हो मेरे,

जो मिलकर भी नही मिलते

वही एहसास हो मेरे।


तुम्हारी यादों का दरिया

मेरे दिल मे समाया है,

कभी आंखों में बन आसूँ

नज़र सागर सा आया है।


जगा था, रात भर मैं तो

चाँद भी मुस्कराया था,

कहाँ मिलते हैं रात और दिन

कहानी गुनगुनाया था।


गया था मैं, नदी के पास

कहने अपने दिल की बात,

 नहीं मिलते किनारे हैं

ये लहरों ने बताया था।

                

शिकायत किससे मैं करता

क़िस्मत की लकीरों की,

विरह की वेदना झेली

जहाँ पर खुद विधाता ने।


---- सुनिल #शांडिल्य

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