खट्टे मीठे शब्द मधुर मैं
शब्द कोष से चुनकर लाया
लेकर रंग बिरंगी स्याही
डुबो डुबो कर उन्हें सजाया
बूंद बूंद अमृत छलकाता
शत प्रतिशत मधुरस का प्याला
रेशा रेशा रस से निर्मित
तुम मेरी अंगूरी रचना
मन से फूटा निर्झर झरना
कण कण पथ का तृप्त हुआ
---- सुनिल #शांडिल्य
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