फ़लक पर पूरा चाँद,
जब मेरी खिड़की
के रास्ते..
चाँदनी बिखेरता है,
मेरे आँगन में..
मन करता है उस,
चाँदनी को कलम में
भर कर..
एक नज़्म तुम्हारे,
नाम लिखूं..
मुश्किल भी तुम_हो
हार भी तुम_हो
और बया करु
होती है जो मेरे सीने में
वो हलचल भी तुम_हो,
जो ऑखे झूकी तेरी
सारी कायनाथ तेरे
दामन में सिमट गयी !
सुनो ...
जलजले सी
मोहब्बत तेरी !!
दिल में कोहराम
मचा देती है !!
मगर...
जिंदगी सँवारने को तो
जिंदगी पड़ी है"
वो लम्हा सँवार लो
जहाँ जिंदगी खड़ी है,
---- सुनिल #शांडिल्य
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