Thursday, November 17, 2022

श्वास श्वास तुमको अर्पण है 
तुम जीवन आधार  प्रिये
तुम्हे नयन की शोभा कर लूं 
तुमको यदि स्वीकार  प्रिये

अरुणोदय मे मुझे तुम्ही 
दृष्टित होती हो कलियों मे 
प्रेम गीत का मधुर राग तुम  
तुम मधुकर गुंजार  प्रिये

अवचेतन सा अन्तर्मन था
सोई थी अनुभूति हमारी
मन मे तेरे नूपुर छनके
हुई मृदुल झंकार  प्रिये

मेरा हर स्पन्दन क्षण-क्षण
सिर्फ  तुम्हारी  चाह  करे
मेरे मन  के प्रेम  पुंज  पर
प्रथम  तेरा अधिकार  प्रिये

प्रेम  यज्ञ  मे  अर्पित  कर  दूं
निज  को  आहुति  सम स्नेह
है अनुरक्ति  तुम्हारी  मन  मे
तुम प्रेम पुष्प  का  हार  प्रिये

~~~ सुनिल #शांडिल्य

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