श्वास श्वास तुमको अर्पण है
तुम जीवन आधार प्रिये
तुम्हे नयन की शोभा कर लूं
तुमको यदि स्वीकार प्रिये
अरुणोदय मे मुझे तुम्ही
दृष्टित होती हो कलियों मे
प्रेम गीत का मधुर राग तुम
तुम मधुकर गुंजार प्रिये
अवचेतन सा अन्तर्मन था
सोई थी अनुभूति हमारी
मन मे तेरे नूपुर छनके
हुई मृदुल झंकार प्रिये
मेरा हर स्पन्दन क्षण-क्षण
सिर्फ तुम्हारी चाह करे
मेरे मन के प्रेम पुंज पर
प्रथम तेरा अधिकार प्रिये
प्रेम यज्ञ मे अर्पित कर दूं
निज को आहुति सम स्नेह
है अनुरक्ति तुम्हारी मन मे
तुम प्रेम पुष्प का हार प्रिये
~~~ सुनिल #शांडिल्य
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