Saturday, November 19, 2022

रातें गमगीन हैं दिन बिना रौशनी
इल्तिजा आखिरी बस तेरा साथ हो! 

यूँ तो जीने को है जिंदगी भी बहुत
ख्वाहिशें कह रहीं हाथ में हाथ हो

बनके आसीर सा मैं पड़ा अन्ज पर
भर लो आगोश में साँस भी साथ हो

एक फरमान है दिल में अरमान है
मैं जहाँ भी रहूँ तू मेरे साथ हो

---- सुनिल #शांडिल्य

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