बाहों के घेरे में नेह को न बांधना
मीत मेरे प्यार को बंधन मत मानना
भावना के द्वारे से तुम को निहारा है
बिना किसी कामना के तुम को पुकारा है
निष्छल अभिलाषा से प्रीत जो संजोयी तो
मीत मेरे इस पल को एक नमन मानना
बहती बयारों संग फूल फूल बहके हैं
मधुरिम सुगंधें ये पल पल में महके हैं
---- सुनिल #शांडिल्य
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