Wednesday, November 9, 2022
आज भीगो दो तन मन मेरा
फिर कोपले उग आने दो,
प्रेम बिखर जाने दो ह्रदय में,
कमल पुष्प ये खिल जाने दो,
ये पतझड़ अब तो बीत गया,
नव अंकुर खिल जाने दो,
दे दो ना फिर शब्द मुझे तुम
तोडूं मैं ये मौन गजल बन जाओ
रीत रहा है नेह तुम्हारा,
प्रेमसुधा अब बरसा जाओ,
---- सुनिल #शांडिल्य
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment